निर्माणों के पावन युगमे हम चरित्र निर्माण न भूलेस्वार्थ साधना की आंधीमे वसुधा का कल्याण न ना भूले माना अगम अगाध सिन्धु है संघर्षो का पार नहीं हैकिन्तु डूबना मजधारोमे साहस को स्वीकार नहीं हैजटिल समस्या सुलाझानेको नूतन अनुसन्धान ना भूले शील विनय विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं हैशिक्षा क्या स्वर साध सकेगी ? यदि नैतिक आधार नहीं हैकीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूलेआविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नहीं हैसृजन हीन विज्ञान व्यर्थ है यदि मानव का प्यार नहीं हैभौतिकता के उत्थानोमे , जीवनका उत्थान न भूले.