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पूर्ण विजय संकल्प हमारा, अनथक अविरत साधना ।
निशिदिन प्रतिपल चलती आयी, राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमि वंदे, वंदे जगजननी वंदे ॥धृ॥

पुण्य पुरातन देश हमारा, मानवता आदर्श रहा ।
संस्कृति का पावन मंगल स्वर, कोटि कंठ से नित्य बहा ।
सकल विश्व का मंगल करने, सर्वस्वार्पण प्रेरणा ॥१॥

निशिदिन प्रतिपल चलती आयी, राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमि वंदे, वंदे जगजननी वंदे

संबल लेकर हिंदु चेतना, समरसता का मंत्र महान ।
अतीत की गौरवगाथा का, पथदर्शक प्रेरक आह्वान ।
भविष्य का पथ उज्ज्वल करने, शक्ति संचय साधना ॥२॥

निशिदिन प्रतिपल चलती आयी, राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमि वंदे, वंदे जगजननी वंदे

मातृभूमि आराध्य हमारी, राष्ट्रभक्ति है प्रेरणा ।
ईश्वर का है कार्य हमारा, जीवन की संकल्पना ।
केशव प्रेरित संघमार्ग पर, चरैवेति की कामना ॥३॥

निशिदिन प्रतिपल चलती आयी, राष्ट्रधर्म आराधना ।
वंदे मातृभूमि वंदे, वंदे जगजननी वंदे

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