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मैं स्वयंसेवक मुझे, न चाह है जयगान की
मैं स्वयंसेवक मुझे, परवाह ना यशगान की
मैं पूजा का पुष्प हूँ, आराध्य माता भारती
मैं स्वयंसेवक मुझे …..

परम मंगलवत्सला माँ, गोद में जिसकी पला मैं
जिस धरा के अन्न-जल से, नित्य प्रतिपल हूं बढ़ा मैं
प्राणदीप से मैं उतारूँ, उस धरा की आरती
मैं स्वयंसेवक मुझे …..

धर्मपथ पे मैं चला हूं, अटल यह विश्वास मेरा
सुजन रक्षण असुर मर्दन, श्रेष्ठ जीवन कार्य मेरा
धर्म हित महायुद्ध को है, माँ मुझे ललकारती
मैं स्वयंसेवक मुझे …..

अग्निपथ पर मैं चला हूं, छोड़ सुखमय मार्ग जग का
कण्टको से पूर्ण पथ पर, नित्य है स्वीकार चलना
श्रेष्ठतम बलिदान की, है मातृभू अधिकारी
मैं स्वयंसेवक मुझे …..

ना रहे कुछ भिन्नता अब, बन सकूं मैं अंश तेरा
बिंदु बनकर संघसरिता, कर सकूं अभिषेक तेरा
तव चरण पर वन्दना, स्वीकार है माँ भारती
मैं स्वयंसेवक मुझे …..

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