युग परिवर्तन की बेला में, हम सब मिलकर साथ चलें।देश धर्म की रक्षा के हित, सहते सब आघात चलें।मिलकर साथ चलें ।।२।।शौर्य पराक्रम की गाथायें, भरी पड़ी है इतिहासों मेंपरंपरा के चिर उन्नायक, जिये निरंतर संघर्षों मेंहृदयों में उस राष्ट्र प्रेम के, लेकर हम तूफान चलें।मिलकर साथ चलें।।२।।कलियुग में संघठन शक्ति ही, जागृति का आधार बनेगीएक सूत्र में पिरो सभी को, सपने सब साकार करेगीसंस्कृति के पावन मूल्यों की, लेकर हम सौगात चलें।मिलकर साथ चलें ।।२।।ऊँच-नीच का भेद मिटा कर, समरस जीवन को सरसायेंफैलाकर आलोक ज्ञान का, पराशक्तियों को प्रकटायेंनिविड़ निशा की काट कालिमा, लाने नवल प्रभात चलें।मिलकर साथ चलें ।।२।।अडिग हमारी निष्ठा उर में, लक्ष्य प्राप्ति की तड़पन मन मेंतन-मन-धन सब अर्पण करने, संघमार्ग के दुष्कर रण मेंकेशव के शाश्वत विचार को, ध्येय मान दिन-रात चलें।मिलकर साथ चलें।।२।।