सूत्रपात नवयुग बेला का, संवाहक हम सभी बनें। कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें-2राष्ट्र प्रथम जीवन में अपने, हर मन का उद्देश्य रहे। गौरव बढ़े देश का जिससे, यह जन - मानस लक्ष्य रहे। नवयुग की इस नव गंगा के, जल-कण पावन सभी बनें।। कठिन परिश्रम.......उत्सुक सज्जन सुप्त शक्ति का, लाना होगा नवल प्रवाह। संचित शक्ति अथाह हिन्दु की, प्रगटे यह जन-जन की चाह । सुदृढ़ हो विस्तार कार्य सब ,गति देकर उत्थान करें ।।कठिन परिश्रम और ....जागृति श्रद्धा बढ़े धर्म में, शीलवान परिवार सभी। पर्यावरण प्रफुल्लित करके, समरसता की राह गही ।शिष्टाचार स्वदेशी अपने, अधिष्ठान की आन बनें।। कठिन परिश्रम और ....पश्चिम के चिंतन से थककर, विश्व विवश भारत की ओर। बढ़ी राष्ट्र की शक्ति सनातन, उठा गगन में स्वर घनघोर। चलो बढ़ें अब कर्म क्षेत्र में, गुरुता के प्रतिमान बनें।। कठिन परिश्रम...सूत्रपात नवयुग बेला का, संवाहक हम सभी बनें। कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें-2