हिन्दू राष्ट्र का सुखद सुमंगल समरस रूप करे साकार । दसों दिशा में कदम बढ रहे,ले पावन संस्कृति आधार । ले पावन संस्कृति आधार, गूंजे भारत की जयकारसाधक भाव प्रखर हो ज्यों ज्यों,अहं विसर्जित होता त्यों त्यों ।यश अपयश के अविचल राही, निर्मल शुद्ध मधुर व्यवहार ।ले पावन संस्कृति आधार, गूंजे भारत की जयकार नई नई प्रकटे रचनाए, स्वाभिमान वैभव सरसाए ।करें असंभव को भी संभव, है अपना सामर्थ्य अपार ।ले पावन संस्कृति आधार, गूंजे भारत की जयकार कार्य विविध है क्षेत्र अनेक, अंतिम लक्ष्य सभी का एक ।विजय भरा विश्वास ह्रदय में,होंगे हर संकट से पार ।ले पावन संस्कृति आधार, गूंजे भारत की जयकार