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एक गांव में कुछ अंधे रहते थे।

एक बार वहां एक हाथी आ गया । उसके गले में लटके घंटे की टन टन सुनकर वह अंधे भी उसके पास आ गए और उसको चुप कर देखने लगे। हाथी के जाने के बाद वह उसके बारे में चर्चा करने लगे। जिस अंधे ने हाथी के पैरों को छुआ था वह बोला कि हाथी खंबे जैसा है। दूसरे ने उसके कान छुए थे उसने हाथी को पंख जैसा बताया। सूंड छूने वाले ने उसे तने जैसा और दुम छूने वाले ने उसे रस्सी जैसा बताया।

यही स्थिति संघ को दूर से देखने वालों की है संघ को ठीक से जानने के लिए शाखा में आना ही एकमात्र उपाय है।

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