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भारत मेरो देश पुतरो

वेश की धन-धन भारती

बोलो जय-जयकार, उतारो आरती,

ओ उतारो आरती।

सोना उगले धरती, अम्बर मोतीदा बरसावे रे,

मुलकाई सूरज चाँद, गीत कोयलड़ी मीठा गावे रे,

हिमगिरी योगीराज शीश पर ताज की गंगा वरती,

समदरिया री लहरें चरण पखारती…

ओ उतारो आरती…

कुन भेळो राणा, नै चेतक नै हल्दीघाटी नै,

वीर शिवा सो सूर कटे, दुनिया पूजे आ माटी नै,

रणचंडी रो मोद, दुर्गा चित्तोड़ की मौत भी हरती,

जौहर री लपटें नै रोज निहारती…

ओ उतारो आरती…

तिलक, गोखले, भगत, बोस, बापू, झाँसी री महारानी,

जौहर देखा जवानों रो, तू बता कथा इतरो पानी,

गीता रो उपदेश, कर्म संदेश, कृष्ण सा सारथी,

आज भारत री धरा विश्व ललकती,

ओ उतारो आरती…

केशव माधव रो संघनाद, जन-जन रो हियो गूंजावे रे,

आत्मत्याग और देशप्रेम रो सबने पाठ पढ़ावे रे,

भगवा ध्वज री आन, देश री शान सदा सिंगारती,

संगठन री शक्ति, देश सवारती,

ओ उतारो आरती…

भारत मेरो देश पुतरो

वेश की धन-धन भारती

बोलो जय-जयकार, उतारो आरती,

ओ उतारो आरती।

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