हे जन्म भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारतहे जन्म भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारतहे वंदनीय भारत, अभिनंदनीय भारत !!जीवन सुमन चढ़ाकर आराधना करेंगेतेरी जनम जनम भर हम वंदना करेंगेहम अर्चना करेंगे …१महिमा महान तू है, गौरव निधान तू हैतू प्राण है हमारी, जननी समान तू हैतेरे लिये जियेंगे, तेरे लिये मरेंगेतेरे लिये जनम भर, हम सधना करेंगेहम अर्चना करेंगे…२जिसका मुकुट हिमालय, जग जगमगा रहा हैसागर जिसे रतन की, अॅंजुलि चढ़ा रहा हेवह देश है हमारा, ललकार कर कहेंगेउस देश के बिना हम, जीवित नही रहेंगेहम अर्चना करेंगे…३जो संस्कृति अभी तक दुर्जेय सी बनी हैजिसका विशाल मंदिर, आदर्श का धनी हैउसकी विजय-ध्वजा ले हम विश्व में चलेंगेसुर संस्कृति पवन बन हर कुंज में बहेंगेहम अर्चना करेंगे…४शाश्वत स्वतंत्रता का, जो दीप जल रहा हैआलोक का पथिक जो, अविराम चल रहा हैविश्वास है कि पल भर, रूकने उसे न देंगेउस दीप की शिखा को, ज्योतित सदा रखेंगेहम अर्चना करेंगे